हर प्यार की कहानी का एक अंत होता है — पर कुछ कहानियाँ अधूरी रहकर ही दिल में ज़िंदा रहती हैं। ये कहानी है दो दिलों की, जो एक-दूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।
1. कॉलेज में पहली मुलाक़ात
साल 2015 की बात है। रीवा, मध्यप्रदेश का एक छोटा-सा शहर जहाँ एक गर्ल्स कॉलेज और पास ही एक को-एजुकेशन यूनिवर्सिटी थी। वहीं पहली बार “अर्जुन” और “साक्षी” की नज़रें कैंटीन में टकराईं।
अर्जुन बीकॉम का छात्र था — शांत, संजीदा और पढ़ाई में अव्वल। साक्षी बीए इंग्लिश ऑनर्स की स्टूडेंट थी — बातूनी, चुलबुली और हर किसी की फेवरिट। पहली नज़र में तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन न जाने क्यों, दोनों की नज़रें बार-बार मिलने लगीं।
2. दिलों की नज़दीकियाँ
कॉलेज फेस्ट के दौरान अर्जुन और साक्षी को एक साथ वॉलेंटियरिंग में ड्यूटी मिली। काम करते-करते दोस्ती शुरू हुई, फिर शाम को किताबों पर डिस्कशन, टिफ़िन शेयर करना, लाइब्रेरी में एक साथ पढ़ना — ये सब आम बात बन गई।
धीरे-धीरे, ये दोस्ती दिल की चाहत में बदल गई। दोनों ने कभी ज़ुबान से नहीं कहा, लेकिन उनकी आँखें सब बयां कर देती थीं।
एक शाम अर्जुन ने झिझकते हुए कहा —
"साक्षी, तुम्हारे बिना सब अधूरा लगता है।"
और साक्षी का जवाब बस एक मुस्कान था… जो बहुत कुछ कह गई।
3. फैमिली प्रेशर और मजबूरियाँ
सबकुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन साक्षी के घरवाले उसके लिए किसी और लड़के से रिश्ता तय करना चाहते थे — जो अमेरिका में सेटल था।
जब साक्षी ने मना किया, तो घर में हंगामा हो गया। माँ ने रो-रोकर कहा, "हमने तुम्हारे लिए सपने देखे हैं बेटा, ऐसे नहीं टूटने देंगे।”
वहीं अर्जुन का परिवार आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहा था — वो साक्षी को एक बेहतर भविष्य देना चाहता था, लेकिन अपने हालात से शर्मिंदा भी था।
दोनों के बीच प्यार था, पर हालात बहुत कठोर थे।
4. आखिरी मुलाकात का दर्द
साक्षी की शादी की तारीख तय हो गई। उसने अर्जुन को मिलने बुलाया। वो शाम दोनों ने कॉलेज के पुराने गार्डन में बिताई — वही जगह जहाँ पहली बार किताब शेयर की थी।
साक्षी की आँखें नम थीं। अर्जुन ने उसका हाथ थामा और कहा,
"कभी किसी शाम मेरी याद आए, तो खुद से मत लड़ना... बस महसूस करना कि मैं वहीं हूँ, तुम्हारे पास।"
साक्षी कुछ नहीं बोली... बस चुपचाप उठकर चली गई।
अर्जुन वहीं बैठा रहा — और उस शाम के बाद दोनों कभी नहीं मिले।
5. अधूरी कहानी का सबक
वक़्त बीत गया। अर्जुन ने एक छोटी सी अकाउंटिंग फर्म खोल ली, साक्षी विदेश चली गई।
कोई संपर्क नहीं, कोई तस्वीर नहीं — बस यादें थीं।
पर आज भी जब अर्जुन उस पुराने गार्डन से गुज़रता है, तो एक बात महसूस करता है —
कुछ प्यार किस्मत में नहीं होते, पर फिर भी वो ज़िंदगी भर दिल में रहते हैं।
❤️ आपके लिए सवाल:
क्या आपको भी कभी ऐसा प्यार मिला जो अधूरा रह गया?
या क्या आप भी किसी ऐसे मोड़ पर खड़े हुए थे जहाँ “दिल” और “दुनिया” टकरा रहे थे?
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